Wednesday, May 3, 2017

(हिंदी) My Speech at Rajasthani Yuva Manch's Felicitation Program.

संत जनाबाई की पवनपुण्य नगरी और रानी सीताबाई की धरोहर गंगाखेड़ शहर में आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। समाज का यहाँका  इतिहास भी अब काफी गौरवशाली एवं विकसनशील दिखाई पड़ता है। और हम सबकी प्रतिमा को और उजागर करते हुए नगरीया के प्रथम नागरिक श्री विजयकुमारजी तापड़िया (अंकल) का मै हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। गौरतलप की बात तो ये है की जब सारस्वत और माहेश्वरी समाज दख्खन की तरफ पहली बार निकला था तब बीसवीं शताब्दी के शुरुवाती दौर में शहर की जनसँख्या ६००० के करीब थी। इस चुनाव में अंकलजी करीब उतनेही वोट लेके जित दर्ज कर चुके हैं!

हालहिंके हुए चुनाओने बोहोत सी बातें स्पष्ट की है। मोर्चाओंके और आंदोलनसे भरे इस दौर में हम यहाँ इतने अधिक मात्रा में नगराध्यक्ष और पार्षद बने है। सामाजिक संघर्ष का हमारे लोकसंपर्क और लोगोंके हमारे प्रति भाव पे कोई परिणाम नहीं दिखाई पड़ता। हमारे समाज की सर्वसम्मीलीत नीति का ये परिणाम मानता हूँ। और व्यासपीठ पे विराजित सभी व्यक्तिविशेषोंसे अगर कोई ज़्यादा मात्रा मे  जीत हासिल किये बैठा है तो वो है मेरा समाज।
कुछ दिनों पहले मेरे करीबी मित्र ने पूछा,'यार, तेरा पूरा समाज विजूसेठ के साथ चला! हवा बन्दी मार्केटमें! बड़ी एकता है!"
मैंने कहा,"हाँ! यहितो ख़ास बात है हमारी!"
वो फिर बोला," तोह फिर तेरा परिवार ही अलगसे सिर्फ अपनी पार्टीके साथ क्यों खड़ा रहा?"
मैं पलटके बोला," ये भी तो खास बात है!"
देखो, बस यही है!  समाज के संस्कार न समाज से बैमानी सिखाते है और ना ही अपने दलसे! इससे हम आखिरमें कहिनाकहीं जाके अच्छे दौर की शुरुवात में अपने पैर  फसा ही देते है। आज इसी अच्छे दौर की शुरुवात में मैं आपसे कुछ अपेक्षाओंकी बातें करना चाहता हूँ।
४ नगराध्यक्ष और पचास से ज़्यादा पार्षद, चलिए इसीको अपनी शुरुवात मानते है। अलग अलग पार्टियोंसे भलेही हमारा नाता हो, लेकिन एक दूसरे की सहाय्यता करनेसे हम न चुके इसीमें हमारी भलाई! अपेक्षा मेरी इतनीही है की आपकी राजनैतिक यात्रा यहीं न थमके रह जाए। आप हमारे लिए इस जनमानस को दिलसे लगाएं  काम करें। घड़ियोंके, गाडीयोंके  और बेपार की पीछे दौड़ते इस समाज से उभरकर आप राजनीति की और चल दिए हैं। इस गति को और बढ़ाए। आप में से कइयोंका सपना आगे बढनेका ज़रूर होगा। और आपको आदर्श मानती इस युवा पीढ़ीका हर मेरे जैसा कुँवर आपके साथ है! समाज को आधिकारिक रुप से मुख्यमंत्री पद  हिरा लाल देवरा  जी के रूप में सिर्फ १७ दिन के लिए एक ही बार मिला था। कामना करता हूँ की आपमेंसे कोई और या आपको सरआँखोंपे रखे समाज का कोई और व्यक्ति वहांतक पहूंचे। जननिर्वाचित नगराध्यक्ष के इन चुनावमें आपने जित हासिल तो की है मगर आगे विधायक बनने की प्रेरणा से काम करियेगा। सांसद बनके और उच्च तौर पे भूमिका निभाने के लिए काम करियेगा। आपका प्रभाव इन्ही पांच वर्षोंमें खत्म न हो ये मेरी दिलसे भगवान् को की कामना होगी। और हाँ देवरा जी राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। वहाँ अपने विधायक संसद हो सकते है। यहाँपे कठिनाइयां हज़ार हो सकती है। पर ये हमारी कर्मभूमि है। सिर्फ जन्मभूमीही नहीं!!
इस बात का भी गर्व महसूस करता हूँ की तापड़िया जी ने अध्यक्ष पद की कमान संभाले पहली ही सभा में  शिवछत्रपती महाराज की पुर्नाकृति मूर्ति की स्थापना का फैसला किया है। इस वतन के लिए इस प्यारभरी भूमिका का हार्दिक स्वागत करता हूँ!


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